भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं वर्षगांठ पर लाखों लोगो के इकठ्ठा होने की आशंका, पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा

भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं वर्षगांठ पर महाराष्ट्र के ‘भीमा कोरेगांव’ पुलिस ने सुरक्षा तैनात दी है। पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक लोगो के जमा होने की आशंका जताई जा रही है इसलिए पुलिस ने इस साल 10 गुना से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है ताकि इस बार पिछले साल की तरह कोई हिंसक घटना न हो।
आपको बता दे की हर साल नए साल के दिन 1 जनवरी को पुरे महाराष्ट्र से हज़ारो की संख्या में लोग इकठ्ठा होते है। अनुसूचित जाति के लोग पुणे से 40 किलोमीटर दूर भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर इकट्ठा होते हैं। माना जा रहा है कि इस बार लाखों लोग यहां पहुंच सकते हैं।
पिछले बार भी भीम कोरेगांव में काफी बड़ी संख्या मे लोग इकठ्ठा हुए थे। वही विजय स्तंभ के आसपास हिंसक हालात बनने से रोकने के लिए पुलिस ने पहले ही 1200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ प्रिवेन्टिव एक्शन लिए हैं। पुलिस के मुताबिक यह सभी लोग पुलिस के बिना इज़ाज़त के भरी संख्या मे एकत्रित हो गए थे। इतनी बड़ी सख्या में लोगो के इकठ्ठा होने से पुलिस को हिंसक घटना होने की आशंका हो रही थी।
इस साल महाराष्ट्र प्रशासन और पुलिस ने किसी भी तरह की स्थिति से निपटने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। पुलिस ने भीमा-कोरेगांव के विजय स्तंभ और उसके आसपास के इलाकों में कुल 7000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं।
Pune: Security tightened in Bhima Koregaon on the 201st anniversary of the #BhimaKoregaon battle. #Maharashtra pic.twitter.com/39DSbimTUY
— ANI (@ANI) January 1, 2019
आपको बता दे की 2018 में भीमा कोरेगांव युद्ध का 200 साल था और वर्ष 2019 में 201वीं वर्षगांठ पर अधिक से अधिक लोग इकट्ठा होने की तैयारी में जुट चुके है। दरअसल 1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था।
पेशवा सेना का नेतृत्व बाजीराव II कर रहे थे। अनुसूचित जाति के लोग इस लड़ाई को अपनी जीत मानते हैं। उनके मुताबिक इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी। 1 जनवरी को अनुसूचित जाति के लोग ‘विजय स्तम्भ’ के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं. ये विजय स्तम्भ ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीसरे एंगलो-मराठा युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था। इस स्तम्भ पर 1818 के युद्ध में शामिल होने वाले महार योद्दाओं के नाम अंकित हैं।
