सबरीमाला मंदिर पर दिए गए 45 पुनर्विचार याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मंदिर पर जारी विवाद को लेकर गुरूवार को सुनवाई करेगी। कोर्ट अपने पहले सुनाये गए फैसले पर पुनर्विचार करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। 45 याचिकार्ताओं ने कोर्ट से अपने पूर्ववर्ती फैसले पर दोबारा से विचार करने का आग्रह किया है। आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ इसपर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने दो महीने पहले सबरीमाला मंदिर के कपाट महिलाओं के लिए खोल दिए थे परन्तु इस फैसले का दक्षिण पंथी कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं।
सदियों से चल रही परम्परा के कारण प्रर्दशनकारियों ने कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। चार दिन बाद ही मंदिर तीन महीने तक चलने वाले वार्षिक यात्रा के लिए खुलने वाला है। याचिकार्ताओं का कहना है कि आस्था को वैज्ञानिक ढंग द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं को इसलिए मंदिर में आने की इजाजत नहीं है क्योंकि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे।
केरला के मंदिर मामलों के मंत्री कदाकमपल्ली सुरेंद्रन ने सोमवार को यह बयान दिया की, ‘सरकार खुले दिमाग की है। सबरीमाला के मामले पर बातचीत करने के लिए सभी पार्टियों को बुलाया जायेगा। पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हम इसकी तारीख और समय का फैसला करेंगे। भाजपा ने जहां सबरीमाला अभियान को तेज कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने केरल सरकार की आलोचना की है और परिस्थिति से ठीक तरह से न निपटने और प्रदर्शनकारियों का साथ देने का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार ने इस बात को दोहराया था कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 सितंबर को दिए फैसले को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन उसने इस मुद्दे को राजनीति से जोड़ने के लिए प्रतिद्वंदी पार्टियों पर आरोप लगाया है। भाजपा के राज्य अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने मंदिर के रीति-रिवाजों को बचाने के लिए रथ यात्रा कर रहे हैं। उनका कहना है की, ‘हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट भक्तों के बढ़ते विरोधों पर ध्यान देते हुए उचित निर्णय लेगा।’
दूसरी तरफ दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को रैलियों में कोर्ट के फैसले के खिलाफ कथित रूप से बोलने के लिए पिल्लई और चार अन्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। एक महीने पहले दो महिला वकीलों ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से आग्रह किया था लेकिन वह या कह कर पीछे हट गए कि वह अतीत में त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के प्रतिनिधि रह चुके हैं। बता दें कि किसी पर कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल के दफ्तर की मंजूरी आवश्यक होती है।
